अमृता वट चिंतामणि रस (स्वर्ण रहित)
अमृता वट चिंतामणि रस (स्वर्ण रहित)
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सामग्री :
रौप्य भस्म (चांदी की कैलक्स), अभ्रक भस्म (अभ्रक की कैलक्स), लौह भस्म (लौह की कैलक्स), प्रवाल भस्म (कोरल की कैलक्स), मौक्तिका भस्म (मोती की कैलक्स) और रस सिंदुरा (पारा सल्फाइड)
के बारे में :
अमृत वात चिंतामणि रस - स्वर्ण राहित (संदर्भ: भैसज्य रत्नावली) एक आयुर्वेदिक शास्त्रीय औषधि है जिसका उपयोग वात असंतुलन के कारण होने वाले रोगों जैसे पक्षाघात, साइटिका और चेहरे का पक्षाघात आदि के उपचार में किया जाता है। यह पित्त रोग (माइग्रेन, चक्कर और पाचन विकार) के कारण होने वाले रोगों के प्रबंधन में भी अत्यधिक प्रभावी है।
फ़ायदे :
क) यह एक उत्कृष्ट कायाकल्पक है और एक एंटी-एजिंग टॉनिक के रूप में कार्य करता है
ख) विभिन्न रोगों के लिए उत्प्रेरक और अन्य दवाओं के साथ सह-नुस्खे के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है
ग) पक्षाघात, मांसपेशियों में ऐंठन, उत्तेजना आदि में सहायक।
d) यह स्वाभाविक रूप से संवेदी और मोटर कार्यों को बेहतर बनाने में भी मदद करता है
उपयोग/खुराक कैसे करें:
1-2 गोलियां दिन में दो बार भोजन के बाद दही/दूध/गर्म पानी के साथ या चिकित्सक के निर्देशानुसार
सावधानियां :
क) उपयोग से पहले लेबल को ध्यान से पढ़ें
ख) ठंडी और सूखी जगह पर रखें, सूरज की रोशनी से दूर रखें
ग) बच्चों की पहुंच से दूर रखें
d) अनुशंसित खुराक से अधिक न लें
ई) गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं, बच्चों और चिकित्सा स्थितियों वाले लोगों को उपयोग से पहले एक स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से परामर्श करना चाहिए
